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छत्तीसगढ़ के जिला मुख्यालय रायगढ़ से  12 किलोमीटर पूर्व में रायगढ़ विकास खंड के  इस वनांचल ओड़िसा सीमावर्ती  पिछड़ी जाति, आदिवासी , हरिजन बाहुल्य इलाके में उच्च  शिक्षा की आवश्यक महसूस की गयी । विशेषकर  बालिका शिक्षा  को लेकर इस अंचल के विद्यानुरागियों के मन में वर्षों से स्वप्न पल   रहा था ।

आखिर इस स्वप्न को साकार करने के लिए स्व. श्री शशिधर पंडा सेवानृवित्त प्राचार्य एवं विकास खंड   शिक्षा अधिकारी की अध्य्क्षता में बटमूल आश्रम  साल्हेओना जिला रायगढ़ में शिक्षण समिति साल्हेओना  का गठन किया गया ।  

तत्पश्चात सबके सामूहिक प्रयास से ग्राम महापल्ली में मध्यप्रदेश शासन एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय द्वारा बटमुल  महाविद्यालय को सम्बद्धता प्राप्त हुई । महाविद्यालय का शुभारम्भ प्रख्यात भूगोलविद डॉ बी पी पंडा ,प्राचार्य के कर कमलों से हुई । महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य होने का श्रेय प्रो पी एन  मेहरा  को मिला ।

सन १९९९ में हिंदी , राजनीति शास्त्र एवं अर्थशास्त्र से स्नातक स्तर कि कक्षाएं प्रारम्भ कि गई । सन २००० में समाजशास्त्र एवं सन २००१ में भूगोल विषय प्रारम्भ किये गये । छात्रों कि मांग से सन २००३-०४ राजनीति शास्त्र में एम ए तथा सन २००४ – ०५ में भूगोल में स्नातकोतर कक्षाएं प्रारम्भ कि गई । इस प्रकार सन १९९९ में ४४ छात्र से प्रारम्भ कॉलेज में अब 647 छात्र – छात्राएं अध्ययनरत हैं । शिक्षा , दीक्षा , स्वालम्बन एवं सेवा के उद्येश से प्रारम्भ किया गया यह महाविद्यालय अपने उद्देश्य में काफी सफल